छठ पूजा Chhath Puja 

छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाए

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Know About Chhath Puja

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छठ पूजा का विधान इतिहास के अलावा हमारे किसी भी धर्म के प्रमाणित पवित्र सद्ग्रंथों में नहीं है। इस दिन व्रत रखने की प्रथा है जो की श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 श्लोक 16 के अनुसार व्यर्थ है।



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छठ पूजा 2022 (Chhath Puja in Hindi): वैसे तो भारत में बहुत से पर्व मनाये जाते हैं, उनमें छठ पूजा सूर्योपासना का एक लोकपर्व है। इन पर्वों से भारत के लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी होती हैं। छठ पूजा एक ऐसा पर्व है, जो मुख्यरूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तरप्रदेश, नेपाल के निवासियों तथा विश्व के अन्य हिस्सों में फैले हुए प्रवासी भारतीयों के द्वारा विश्वभर में मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक पावन त्योहार है। शुक्ल पक्ष के षष्ठी को शुरू होने वाले इस पर्व को छठ पूजा, सूर्य षष्ठी और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। प्रमाण सहित जानिए गीतानुसार छठ पूजा (Chhath Puja) क्यों नही है शास्त्रानुकूल साधना।


Table of Contents

छठ पूजा 2022 कब है?
छठ पूजा के प्रकार (Types of Chhath Puja in Hindi)
पौराणिक कथाओं के अनुसार छठ पूजा
छठ पूजा से जुड़ी कथा (Chhath Puja Story in Hindi)
कौन है छठी मईया?
छठ पूजा पर जानिए यथार्थ ज्ञान के बारे में
क्या भाग्य से अधिक देवी-देवता दे सकते हैं?
पूर्ण संत की पहचान हमारे पवित्र सद्ग्रंथों में
मानव जीवन अनमोल है
FAQ About Chhath Puja 2022 [Hindi]
छठ पूजा 2022 कब है?
चार दिवसीय इस त्योहार की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल की सप्तमी को समाप्त हो जाती है। इस वर्ष यह त्योहार निम्न तिथियों को मनाई जाएगा-

शुक्रवार 28 अक्टूबर – नहाय खाय (सूर्य षष्टी व्रत प्रारंभ
शनिवार 29 अक्टूबर – खरना या लोहंडा
रविवार 30 अक्टूबर – छठ व्रत मुख्य पूजन संध्या अर्घ्य
सोमवार 31 अक्टूबर – उषा अर्घ्य छठ व्रत समापन
यह पर्व वैदिक काल से मनाया जा रहा है, यह पर्व बिहार के वैदिक आर्य संस्कृति को दर्शाता है। लेकिन वेदों मे ऐसे त्योहार की कहीं गवाही नहीं है।

छठ पूजा के प्रकार (Types of Chhath Puja in Hindi)
समाज में दो प्रकार के छठ पर्व की मान्यता है, जिसमें एक शक संवत के कैलेंडर के पहले मास के चैत्र में मनाई जाती है जिसे चैती छठ के नाम से जाना जाता है तथा दूसरी कार्तिक मास के दिवाली के छह दिन बाद मनाने की परंपरा है, जिसे कार्तिक छठ के नाम से जाना जाता है। इन चार दिनों में व्रती (उपवास रखने वाले) को कड़े नियमों का पालन करना होता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार छठ पूजा
पुराणों के अनुसार छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत त्रेतायुग में रामायण के दौरान हुई थी जब राम रावण का वध करके सीता को वापस लेकर लौटे थे। तब मुद्गल ऋषि ने राम को सीता के साथ जल में खड़ा होकर सूर्य देवता को अर्घ्य (जल अर्पण) देने की सलाह देकर इस व्रत को कराया तथा जल छिड़ककर सीता को पवित्र किया था।

छठ पूजा से जुड़ी कथा (Chhath Puja Story in Hindi)
छठ पूजा 2022 (Chhath Puja in Hindi) | प्रियव्रत नामक एक प्रतापी राजा राज्य करते थे। विवाह के कई वर्षों पश्चात भी उनकी रानी मालिनी को कोई सन्तानोत्पत्ति नहीं हुई, राजा ने अपने राजगुरु से सलाह मशवरा किया। उनके राजगुरु ने यज्ञ अनुष्ठान करने की सलाह दी। राजन ने पूरे विधि-विधान से यज्ञ सम्पन्न किया। ऋषि ने रानी मालिनी को खीर खाने के लिए दी, कुछ समय पश्चात रानी गर्भवती हुई।

छठ पूजा 2022 (Chhath Puja in Hindi): गर्भधारण की अवधि पूरी होने पर रानी को मृत पुत्र की प्राप्ति हुई, राजा दुःखी मन से अकेले ही अपने मृत पुत्र के शव को लेकर शमशान पहुँचा, पुत्र वियोग में व्याकुल राजा ने आत्महत्या करने की सोची, तभी वहाँ भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई और राजा को संतानोत्पत्ति का मार्ग बताते हुए देवी ने अपनी पूजा पूरे विधि-विधान से करने की सलाह देकर संतान प्राप्ति का आश्वासन देकर अंतर्ध्यान हो गई। परंतु आपको बता दें की यह सब लोक मान्यताए है जिनका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है। 

कौन है छठी मईया?

छठ पूजा 2022 (Chhath Puja in Hindi): लोक मान्यता के अनुसार सृष्टि के मूल की उत्पत्ति के छठे दिन इनके जन्म के कारण इन्हें छठी मईया कहा जाता है। इस घटना के बाद राजा ने वापस अपने महल लौटकर पूरा वृतांत अपनी पत्नी को सुनाया और देवी द्वारा बताये गए नियमों और विधि-विधान से देवी द्वारा बताये गयी तिथि को पूरे अनुष्ठान के साथ छठी मईया की पूजा-अर्चना की। कुछ समय पश्चात रानी ने फिर से गर्भधारण किया। गर्भावधि पूरी होने के पश्चात रानी ने एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया।


राजा के संतान की इच्छा पूरा होने के कारण ही इस पर्व की मान्यता है कि छठी मईया का व्रत पूरे नियम और विधि-विधान से करने पर निःसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। इसी अवधारणा के कारण छठ व्रत की परम्परा चली आ रही है। लेकिन वास्तव मे यहां किसी को संतान प्राप्ति पिछले संस्कार से ही होती है। इसमें देवी देवता आदि की कोई भूमिका नहीं है।

छठ पूजा पर जानिए यथार्थ ज्ञान के बारे में
छठ पूजा (Chhath Puja) का विधान इतिहास के अलावा हमारे किसी भी धर्म के प्रमाणित पवित्र सद्ग्रंथों गीता, चारों वेद में नहीं हैं, हिन्दू धर्म के पवित्र धर्मग्रन्थ श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में गीता ज्ञानदाता का कहना है कि हे अर्जुन! यह योग (भक्ति) न तो अधिक खाने वाले का और न ही बिल्कुल न खाने वाले का अर्थात् ये भक्ति न ही व्रत रखने वाले, न अधिक सोने वाले की तथा ना अधिक जागने वाले की सफल होती है। इस श्लोक से यह स्पष्ट है कि व्रत रखना पूर्ण रूप से मनमाना आचरण है और श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 अनुसार शास्त्र विरुद्ध मनमाने आचरण से कोई लाभ नहीं होता।
मानव जीवन अनमोल है
कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले ना बारम्बार।

जैसे तरुवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर ना लगता डार ||

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FAQ About Chhath Puja 2022 [Hindi]
प्रश्न – छठ पर्व प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर- प्रतिवर्ष चार दिवसीय छठ पर्व कार्तिक मास की शुक्ल चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है।

प्रश्न – इस साल छठ पर्व कब मनाया जाएगा?
उत्तर – इस साल छठ पर्व 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मनाया जाएगा।

प्रश्न – छठ त्यौहार में किसकी पूजा की जाती है?
उत्तर- छठ पर्व में सूर्य उपासना और छठ मईया की पूजा की जाती है।

प्रश्न – क्या छठ पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है?
उत्तर – छठ पूजा द्वारा संतान प्राप्ति वाली मान्यता केवल लोक मान्यता ही है। क्योंकि गीता अनुसार शास्त्रविरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता है।

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